नेकी की राहों पे तू चल
नेकी की राहों पे तू चल
रब्बा रहेगा तेरे संग
नेकी की राहों पे तू चल
रब्बा रहेगा तेरे संग ….. 2
वो तो है तेरे दिल में हाँ
तू क्यों बाहर उसे ढूँढता
नेकी की राहों पे तू चल
रब्बा रहेगा तेरे संग
1.कभी है वो साहिल पे
कभी है वो मौजों पे
कभी है परिंदा वो उड़ता हुआ
वो तो ख़ुदा है
जीवन हैरां है
उसको न मज़हब में कैद करना………
2.वो वफादार है
हाँ खुद ही प्यार है
साये में उसके सुकूँ कितना
दुनिया का नूर है
ना तुमसे दूर है
पाकीज़गी में वो है बसता
नूर-ए-ख़ुदा का है आसरा
वो ही तो है अपना
ये जहां उसका है
नेकी की राहों पे तू चल
रब्बा रहेगा तेरे संग……2
वो तो है तेरे दिल में हाँ
तू क्यों बाहर उसे ढूँढता
नेकी की राहों पे तू चल
रब्बा रहेगा तेरे संग…2
आ…
3.रब से मोहब्बत कर
उसकी इबादत कर
उसने ही दी है हमें ज़िन्दगी
उसके करम से, हर वचन से
राहों पे तेरी गिरेगी रोशनी
4.सबको तू माफ़ कर
खुद ना इन्साफ कर
उसपे तो हक बस ख़ुदा का ही है
तू औरों से इस कदर मिल
जैसे तू चाहे वो तुझसे मिले
कर ये शुरुआत ईमान है
तो पर्वत भी तेरे हुकुम पे चलें
नेकी की राहों पे तू चल
रब्बा रहेगा तेरे संग …2
नेकी की राहों पे तू चल
रब्बा रहेगा तेरे संग…2
वो तो है तेरे दिल में हाँ
तू क्यों बाहर उसे ढूँढता
नेकी की राहों पे तू चल
रब्बा रहेगा तेरे संग….2
आ…